पहले के एक आर्टिकल में हमने पढ़ा कि पुलबैक्स को ट्रेड करने के लिए कैसे आरएसआई को बॉलिंगर बैंड्स के साथ कम्बाइन किया जाता है। इस हफ्ते देखते हैं कैसे बॉलिंगर बैंड्स को दूसरे लोकप्रीय मोमेंटम ऑसिलेटर- आरओसी(रेट ऑफ चेंज) के साथ कम्बाइन किया जा सकता है।

रेट ऑफ चेंज (आरओसी) इंडिकेटर

टेक्निकल एनालिसिस में सबसे प्रसिद्ध ऑसिलेटर है रेट ऑफ चेंज (आरओसी) इंडिकेटर। यह मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण मेजर है।यह उस रेट का वर्णन करता है जिस पर प्राइज़ में परिवर्तन होते हैं। आरओसी को रिलेटिव चेंज के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें बहुत ज़्यादा भविष्यसूचक शक्ति है और यह आश्चर्यजनक नहीं है कि यह एक बहुत लोकप्रिय इंडिकेटर बन गया है।

यह अब की प्राइज़ और टी पीरियड पहले की प्राइज़ के बीच का पर्सेंटेज अंतर है।

फॉर्मूला:
आरओसी (टी पीरियड) = (लास्ट प्राइज़ – प्राइज़ टी पीरियड पहले) / प्राइज़ टी पीरियड पहले) * 100 जहां टी वह पीरियड है जो आप चुन सकते हैं। डिफफॉल्ट 14 पीरियड होता है।

आरओसी के साथ ट्रेडिंग

ट्रेडर्स  बुलिश और बियरिश सिगनल्स के लिए आरओसी का ज़ीरो से ऊपर और नीचे क्रॉस करने का उपयोग करते हैं। इसे नीचे दिए गए फोटो से बेहतर समझा जा सकता है।

जैसा कि आप देख सकते हैं कि आरओसी अपने आप ही बेहतरीन सिगनल्स का निर्माण करने में सक्षम है, लेकिन आपको इसका उपयोग करने से पहले डाउनसाइड को समझना चाहिए।

  • इसमे कोई नैचुरल स्मूदिंग नहीं है। अचानक आनेवाली बड़ी मूव्ज़ से इंडिकेटर में झटकेदार मूव्स आ सकती हैं।
  • यह उपयोग किए गए टाइम पॉइंट्स के बीच के समय की कोई इन्फार्मेशन नहीं देता है- मतलब अभी और टी समय पहले- भले ही परिभाषित किए गए दो पॉइंट्स के बीच का कोई पॉइंट महत्वपूर्ण जानकारी देता हो।

हालांकि, इसे एक प्राइज़ या वोलैटिलिटी इंडिकेटर के साथ कम्बाइन करने पर यह बहुत बेहतर परिणाम दे सकता है।

बॉलिंगर बैंड्स और रेट ऑफ चेंज (आरओसी) के साथ ट्रेडिंग सिस्टम

इस मेथड का सिद्धान्त एक लॉन्ग या शॉर्ट पोज़िशन में तब जाना है जब उस दिशा में मोमेंटम बन जाए।

लॉन्ग पोज़िशन के लिए हम 20 पीरियड ईएमए के ब्रेकआउट के 1 स्टैण्डर्ड डीविएशन ऊपर वाले बॉलिंगर बैंड जो (20,1) की सेटिंग के साथ वाले बॉलिंगर बैंड का ऊपरी बैंड है, का उपयोग करेंगे। इसके साथ ही यदि आरओसी ज़ीरो से ऊपर है तो यह कंडीशंस निर्णायक रूप से ऊपर की ओर एक मजबूत मोमेंटम दिखाती हैं।

दोनों कंडीशंस पूरी होनी चाहिए इसीलिए हम पुष्टि करने के लिए अलर्ट पर एक क्रॉसओवर और एक हायर दैन कंडीशन का उपयोग करते हैं।

ऊपर बताई गई कंडीशंस की विपरीत कंडीशंस का उपयोग करके आप साथ ही शॉर्ट पोज़िशन में भी ट्रेड कर सकते हैं। मैंने दोनों ट्रेड्स की कंडीशंस का विवरण नीचे दिया हैं।

यदि आप फोटो में HDFC बैंक के डेली चार्ट को देखें, ट्रेडिंग सिस्टम ने 8 ट्रेड्स उत्पन्न किए है।

लॉन्ग साइड पर 4: 3 विनर्स और 1 लूजर
शॉर्ट साइड पर 4: 2 विनर्स और 2 लूजर्स

इसके साथ ही विनिंग ट्रेड्स में पाया गया प्रॉफ़िट स्टॉप लॉस पर पहुंचनेवाले लॉस से कहीं ज़्यादा है।

व्यक्तिगत रूप से इस ट्रेडिंग सिस्टम में मैं लॉन्ग साइड पर ट्रेड करना पसंद करूंगा क्योंकि जैसा की यह चार्ट भी दिखाता है, यह मुझे मूलत मजबूत स्टॉक्स में अच्छे एंट्री पॉइंट्स देता है।


Download Now - https://bit.ly/3z7TCMZ
  1. लॉन्ग एंट्री
    जब यह कंडीशंस पूरी हों, तब ही लॉन्ग एंट्री करनी चाहिए।

    डेली चार्ट
    1- बीबी(20,1) का अपर प्राइज़ को नीचे से क्रॉस करता हो और
    2- आरओसी (9) ज़ीरो से ज़्यादा है।   या

    1- अपर बीबी 20,1) प्राइज़ से कम है और
    2- आरओसी (9) ज़ीरो से ज़्यादा है।

    स्टॉप लॉस:
    आरओसी ज़ीरो से नीचे क्रॉस करता है।

    टार्गेट
    स्टॉप लॉस से पीछे हटना और ट्रेंड की सवारी करना यहाँ एक बढ़िया स्ट्रैटेजी होगी। यदि किसी को एक तुरंत मोमेंटम वाला ट्रेड चाहिए हो तो यदि प्राइज़ अपर बीबी से नीचे जाए तो आप एक्ज़िट कर सकते हैं। यदि आप एक पोज़िशन होल्ड करना चाहते हैं तो आप तब तक होल्ड कर सकते हैं जब तक आरओसी ज़ीरो के ऊपर रहे।

2- शॉर्ट एंट्री
जब ये कंडीशंस पूरी हों तब शॉर्ट एंट्री लेनी चाहिए

डेली चार्ट
1- बीबी (20,1) का लोअर प्राइज़ के ऊपर क्रॉस करता है और
2-आरओसी (9) ज़ीरो से कम है।    या

  1. बीबी (20,1) का लोअर प्राइज़ से ज़्यादा है और
  2. आरओसी (9) ज़ीरो से नीचे से क्रॉस करता है।

स्टॉप लॉस:
आरओसी ज़ीरो के ऊपर से क्रॉस करता है।

टार्गेट
स्टॉप लॉस से पीछे हटना और ट्रेंड की सवारी करना यहाँ एक बढ़िया स्ट्रैटेजी होगी। यदि किसी को एक तुरंत मोमेंटम वाला ट्रेड चाहिए हो तो यदि प्राइज़ लोअर बीबी से ऊपर जाए तो आप एक्ज़िट कर सकते हैं। यदि आप एक पोज़िशन होल्ड करना चाहते हैं तो आप तब तक होल्ड कर सकते हैं जब तक आरओसी ज़ीरो के नीचे रहे।

कंक़्लूजन
अतीत में ट्रेड करते हुए मैंने देखा है कि ऊंचे मोमेंटम वाले स्टॉक्स और कमोडिटीज़ लंबे समय में कम मोमेंटम वालों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह ट्रेडिंग सिस्टम आपको ऐसे ट्रेंड्स को पहचानने और इन ट्रेड्स को राइड करने में मदद करने के लिए बहुत उपयुक्त है।

मिलते हैं अगले हफ्ते।

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